प्रातःकालीन सत्र सुबह 9: 00 बजे से।
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रामकृष्ण मिशन विवेकानंद शैक्षणिक और अनुसन्धान संस्थान, मोराबादी संकाय के विद्यार्थियों ने इस सत्र का संचालन किया। इस अवसर पर।नृत्य, संगीत, नाटक आदि का मंचन किया गया। प्रतिभागियों को पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वार्षिकोत्सव समारोह का तृतीय दिवस
स्वामी विवेकानंद जी की विचार धारा के आलोक में विश्वगुरु भारत
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अपराह्न सत्र
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ज्ञातव्य हो कि आज की धर्मसभा में
स्वामी विवेकानंद जी की विचार धारा के आलोक में विश्वगुरु भारत विषय पर विशद चर्चा हुई। कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार एवम् पुष्पांजलि से हुई।
मंच पर विराजमान थे रामकृष्ण मिशन आश्रम, मोराबादी राँची के सचिव श्रीमत् स्वामी भवेशनंदजी महाराज, रामकृष्ण मठ एवम् मिशन मुम्बई के सचिव श्रीमत् स्वामी सत्यदेवानंद जी महाराज, सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जगन्नाथन डॉ चोकालिंगम जी , रामकृष्ण मिशन विवेकानंद एजुकेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट मोराबादी आश्रम के सहायक प्राध्यापक डॉ पंकज मिश्रा जी।
स्वागत गान रामकृष्ण मिशन विवेकानंद शैक्षणिक और अनुसन्धान संस्थान मोराबादी राँची के विद्यार्थियों’ ने मूर्त महेश्वर मुज्वल भास्कर’ गाकर किया।
स्वागत सम्बोधन में आश्रम के सचिव स्वामी भवेशानंद जी ने सभी अतिथियों एवं श्रोताओं का अभिवादन किया।
उन्होंने अपने सम्बोधन में बताया कि स्वामी विवेकानंद जी जन्म हुआ था भारत के पुनर्जागरण के लिए। उन्होंने अपने देश और विश्व के सभी इतिहासों का समग्र अध्ययन किया था।
स्वामी विवेकानंद ने मानव विकास पर ज़ोर दिया था। वे कभी निर्धन और कभी राजाओं के यहां भी रहते।कन्याकुमारी में ध्यानस्थ होकर उन्होंने संपूर्ण भारत का दिग्दर्शन किया। यहां
की गरीबी, पाखंड, अंधविश्वास, अशिक्षा को। अनुभव किया।
स्वतन्त्रता आंदोलन के सर्वाधिक सेनानी स्वामीजी के आह्वान पर देश के लिए बलिवेदी पर न्योच्छावर हो गए।
उन्हीं का दें है कि भारत स्वतंत्र हुआ और आज भारत विष। का चौथा आर्थिक शक्ति बना है।
तदुपरांत सचिव महोदय मुख्य अतिथि कुलपति चोकालिंगम को वस्त्र परिधान पुस्तक आदि।से सम्मानित।किया।
मुख्य अतिथि कुलपति चोकालिंगमजी ने अपने सम्बोधन में कहा कि आजकल के विद्यार्थी भारत माता के बारे नहीं के बराबर जानते हैं आज लोग अपने गौरवशाली इतिहास एवं अतीत को भूल चुके हैं। स्वामी विवेकानंद प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति और वेदांत को विश्व के सामने पुरजोर ढंग से रखा। स्वामी विवेकानंद जी विश्व धर्म सम्मेलन में सिंह गर्जना करते हुए कहा कि मुझे गर्व है कि मैं वैसे धर्म से संबंध रखता हूं जो बहुत से धर्मों को अपने यहां आश्रय दिया।
उन्होंने कहा कि भारत सहिष्णुता, सर्वग्राह्यता में विश्वास और सभी धर्मों का आदर करती है। वे भारतीय वाङ्मय को। वैश्विक धरातल पर रखा। हिंदू धर्म को उन्होंने सभी धर्मों की माता कहा।
भारत आने के बाद उन्होंने कहा , भारत माता अपनी गंभीर निद्रा से जाग उठी हैं। सुदीर्घ रजनी अब समाप्त हुई जान पड़ती है।
तत्पश्चात रामकृष्ण मिशन विवेकानंद शैक्षणिक और अनुसन्धान संस्थान के छात्र श्री अमित साहा ने अपने संक्षिप्त भाषण में कहा कि उठो जागो और रुको मत जबतक उद्देश्य की प्राप्ति न हो। दरिद्र, रोगी, अशिक्षित की सेवा ही परम धर्म है।
रामकृष्ण मिशन विवेकानंद शैक्षणिक और अनुसन्धान संस्थान मोराबादी राँची की छात्रा सुश्री रिया रॉय ने अपने सम्बोधन में कहा कि कोई भी राष्ट्र का विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक नारी का पुनरुथान नहीं होगा। सभी नारियों को सीता, सावित्री एवं अन्य महान नारियों का अनुशरण करना चाहिए।
मुख्य अतिथि ने विद्यार्थियों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि बिना परिश्रम के कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। चरित्र निर्माण सही सोच अधिक जरुरी है।
प्रश्न : भारतीयों को अपने का कर्तव्य बोध नहीं है। उत्तर: सभी को प्यार से समझाना चाहिए। आज स्थिति बदली है। अब स्वच्छता के लिए जागरूकता हो रही है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में स्वामी सत्यदेवानंद जी महाराज ने स्वामी विवेकानंद जी का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत नहीं रहेगा तो दुनियां मिट जाएगी। भारत सिखाने के लिए है। भारत विश्व का नेतृत्व करेगा। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है
हमलोगों को आत्मविश्वास लाना होगा। मनुष्य ही देवता है।
नकारात्मकता को त्यागो, सकारात्मकता को अपने जीवन में लाओ।
धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डॉ पंकज मिश्र रामकृष्ण मिशन विवेकानंद शैक्षणिक और अनुसन्धान संस्थान मोराबादी, रांची के सहायक प्राध्यापक ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
मंच संचालन रामकृष्ण मिशन विवेकानंद शैक्षणिक और अनुसन्धान संस्थान मोराबादी राँची के छात्र और छात्राओं ने किया।
संध्याकालीन सत्र में नागपुर कला और संस्कृति खूंटी के कलाकारों ने अपने गायन और नृत्य से ऐसा समा बांधा कि श्रोता मंत्र मुग्ध हो गए।













