ज्ञातव्य हो कि माँ सारदा दिवस आज 1जून 2025 को धूमधाम से मनाया गया।
सुबह के सत्र में आश्रम के स्वयं सेवकों का सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं पुरस्कार वितरण समारोह हुआ। विवेकानंद फोरम , सारदा महिला ,सारदा महिला समिति,बालक दल, गैप और योग छात्र समूह ने नृत्य संगीत, स्वामी विवेकानंद की पत्रावली की पाठ्य प्रस्तुति हृदयग्राही थी। गदाधर अभ्युदय प्रकल्प, अखंडानंद प्रकल्प , बालक दल द्वारा स्वामी विवेकानंद जी की जीवनी पर आधारित नाटक की प्रस्तुति यह दर्शाता है कि सुदूर पिछड़े ग्रामीण बच्चों के बीच कितनी मेधा है। इन प्रकल्पों के जिन बच्चों ने सम्मानित संस्था में नामांकन के लिए सफलता प्राप्त की, खेलकूद, योग, नृत्य, संगीत आदि में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए आश्रम के सचिव स्वामी भवेशानंदजी महाराज एवं अन्य गणमान्य लोगों ने पुरस्कृत किया। इस कार्यक्रम के उद्घोषक थे श्री प्रीतम बनिक।
अपराह्न सत्र का विषय था
भारतीय नारी के पुनर्जागरण में मां सारदा की भूमिका।
वैदिक मंत्रोच्चार एवं माँ सारदा के चित्र पर पुष्पांजलि अतिथियों एवं संन्यासी गणों ने की।
उद्घाटन संगीत आश्रम के स्वामी इष्टकामानंद जी ने रूप थेके अपरूपा गान गाकर श्रोताओं के मनोराज्य में मानो प्रवेश पा लिया तबले पर संगत कर रहे थे श्री रेणुशंकर मिश्र, संगीत प्रभाकर
अपने स्वागत भाषण में आश्रम के सचिव स्वामी भवेशानंद जी महाराज ने कहा; भगवान श्री रामकृष्ण देव ने फलहारिणी पूजा के दिन अपनी लीला सहधर्मिणी की पूजा की। उनमें जगन्माता का प्रादर्भाव किया। श्री रामकृष्ण देव ने मां सारदादेवी से कहा तुमको बहुत अधिक कार्य करने है, मुझसे बहुत अधिक। माँ संघजननी थीं बड़े बड़े समस्याओं का समाधान उन्होंने सरल और सहज रूप से किया। जब अंग्रेजी सरकार की वक्रदृष्टि संघ पर पड़ी तब माँ का आशीर्वाद एवं निर्देश पाकर स्वामी सारदानन्द जी महाराज ने अंग्रेज अधिकारियों को क्षमा मांगने पर विवश कर दिया। भगिनी निवेदिता गर्ल्स स्कूल का शिलान्यास श्री माँ सारदा देवी ने ही किया था। उन्होंने भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा पर भी जोर दिया।
अतिथि वक्ता डॉ देवजानी राय,। विभागाध्यक्ष, भूगोल, निर्मला महाविद्यालय ने अपने सम्बोधन में कहा कि माँ ज्ञान, करुणा की प्रतीक हैं। सच्ची शक्ति प्रभुत्व में नहीं वरन् दूसरों की सेवा में है।
आंतरिक शक्ति, लचीलापन, और करुणा पर उनकी शिक्षा नारी सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली आदर्श पेश करता है जो कालातीत और सार्वभौम दोनों हैं
आश्रम के एक वरीय गृहस्थ भक्त श्री अशोक कुमार दत्त ने आज की माताओं को श्री श्री माँ सारदा देवी का अनुसरण करने के लिए कहा।
इस अवसर पर श्री रामकृष्ण देव के भव्य मंदिर निर्माण के लिए श्री रामकृष्णभक्त राजेश अग्रवाल और श्रीमती प्रीति वर्मा जी के सहयोग के लिए आश्रम की तरफ से साधुवाद और स्मृति चिह्न के साथ परिधान और पुस्तक भेंट किए गए। मंदिर निर्माण के लिए सर्वाधिक व्यक्तिगत योगदान देने के लिए श्री पुनीत कुमार पोद्दार को उनकी माताजी एवं धर्मपत्नी को स्मृति चिह्न वस्त्रादि ,पुस्तक आदि देकर आभार जताया ।
अध्यक्षीय भाषण में रामकृष्ण मिशन आश्रम मुंबई के सचिव स्वामी सत्यदेवानंद जी महाराज ने कहा कि श्री श्री माँ सारदा देवी नारी शिक्षा की महान प्रेरणा स्रोत हैं। श्री रामकृष्ण देव ने माँ को सरस्वती कहा है। 1886v से लेकर 1920 तक माँ सारदा देवी संघ को अपनी गोद में रखकर रक्षा की थी। रामकृष्ण देव के साक्षात् शिष्य अन्य भक्तों की समस्याओं का समाधान वे तुरत कर देती थीं । संघ में श्री श्री माँ की बातें सर्वोपरि है।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आश्रम के कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष श्री। विनोद कुमार गादयान ने कहा; माँ सारदा देवी जगत माता के के रूप में आकर हमारी भारतीय नारियों को शिक्षा दी।
वे मातृत्व की साक्षात् उदाहरण।थीं
श्रीरामकृष्ण ने उनमें देवीत्व का आरोपण किया था।
समापन संगीत रामकृष्ण मिशन आश्रम नरेंद्रपुर कोलकोता के विख्यात गायक स्वामी शिवाधिशानंद जी ने की
गान का स्वर था: करो कृपा संतान पर।
तबले पर संगत कर रहे थे शुभंकरजी और बांसुरी पर कुणाल जी।
संध्या 7 बजे से 8.30 तक स्वामी शिवाधिशानंद जी ने हिंदी भजन और बंगला भक्ति गीतों की अपने आकर्षक एवं मधुर वाणी से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। ‘ पाखी तुई ठीक ठीक बोसे बोसे थाक’ जैसे गाना गाकर हृदय में भाव भक्ति का संचार किया।







